Ajanbahu Lohana
Social News : Ajanbahu Lohana was a general of Prithviraj
chauhan, Ajaan bahu belong to Lohana caste. Lohana Raghuvanshi Kshatriya. अजानबाहु लोहाना (लोहाणा) | आजान वाहु लोहाना
अजानबाहु लोहाना (लोहाणा)
हिंदी भाषा की सबसे पहली हिंदी कविता का बहुमान जाता हे पृथ्वीराज रासो को, जिन के कवि हे चंद बरदाई पृथ्वीराज चौहान के राजकवि।
रासो मे चंद बरदाई ने अजान बाहु की विरता का वर्णन किया हे। रासो एक ऐतिहासिक कविता भी हे तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता हे।
अजान बाहु (आजान वाहु ) का जन्म पाकिस्तान के लाहोर मे हुवा था। उस समय भारत के उत्तर और पश्चिम मे मुस्लिम आक्रमण सतत आ रहे थे और वह पर लोहाणा जाती के राज्य थे। मुस्लिम आक्रमण की वजह से जो राज्य लोहाणाओ के हाथ से जाते वहा के लोहाणा दूसरे हिंदु राजाओ को मजबूत करने के लिए उनकी सेना मे शामिल हो जाते, उनके मंत्री या सलाहकार बन जाते।
अजानबाहु भी लोहाणा रघुवंशी क्षत्रिय थे, वे पृथ्वीराज चौहान के सामंत थे, लेकिन एक बार सभामे एक चीज़ गवाक्ष से 32 हाथ दूर जाके गिरती हे तो उसे लाने के लिए कूदना होता हे लेकिन अजान बाहु कूदके वे चीज़ ले आते हे लेकिन उन्हे गंभीर चोटे आती हे पृथ्वीराज खुद अपनी निगरानी मे 9 डीनो तक उनकी देखभाल करते हे और ठीक करते हे। इस दौरान अजान बाहु की दोस्ती पृथ्वीराज चौहान के छोटेभाई काना चौहान से हो जाती हे।
एक बार एक प्रसंग मे पृथ्वीराज का cousin गुजरात का राजा भीमदेव सोलंकी के छोटेभाई से काना चौहान की तूतूमेमे हो जाती हे। और लड़ाई मे काना चौहान और अजान बाहु के हाथो भीमदेव का छोटभाई और सेनापति मारे जाते हे, जिन का बदला लेने के लिए भीमदेव पृथ्वीराज पर आक्रमण करते हे लेकिन अजानबाहु की विरता से भीमदेव की सेना हार जाती हे और पृथ्वीराज के हाथो भीमदेव मारा जता हे। और खुश होकर पृथ्वीराज अजानबाहु को 500 गाव देता हे लेकिन बादमे बाबर अजानबाहु के वंशजो से ये गाव छिन लेता हे।
दूसरी एक घटना बनती हे, पृथ्वीराज की बचपन मे शादी ओरछा के राजा जसवंत की बेटी से तय हुई होती हे, लिकिन जसवंत बाद मे मना कर देते हे, एक बर जसवंत अजान बाहु को ललकार लेता हे, अजान बाहु के हाथो जसवंत बुरी तरह हारता हे और संधि करता हे उस संधि के मुताबिक जसवंत को अपनी बेटी की शादी पृथ्वीराज से करनी होगी। इसी तरह जसवंत की बेटी की शादी पृथ्वीराज से हो जाती हे।
पृथ्वीराज और संयोगिता के बारे मे सब जानते हे। जब पृथ्वीराज ने संयोगिता का अपहरण किया तब अजानबाहु और अन्य सेनापतिओ ने जयचंद की सेना को रोका था। जयचंद भी शक्तिशाली राजा था। लेकिन इस युद्ध मे अजानबाहु वीरगति प्राप्त करते हे।
ये समाचार मुहम्मद घोरी को मिलता हे, बार बार आक्रमण करने पर दिल्ली नहीं जीत पाया था, अजानबाहु जैसे वीर सेनापतिओ की वजह से उसको मुह की खानी पद रही थी लेकिन अब अजानबाहु जैसे वीर योद्धा नहीं रहे, तो उसने आक्रमण किया और यहा से हिंदुस्तान की बदकिस्मती शुरू हुई।
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જય હો રઘુવંશ
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