Vote Bank Politics
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रोजके 45 किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं वो मालूम है लेकिन दहेज के झुठे cases से हर साल एक लाख पुरुष आत्महत्याएं कर रहे हे यानी रोज के 275 लोग वो नहीं दीखता?
और 2004-2014 के मुकाबले किसानों की आर्थिक स्थिति सूधरी है लेकिन आपको तो मुस्लिम, दलित और किसान ही दिखेंगे क्योंकि वे आपकी vote bank है। लेकिन जो आत्महत्या कर रहे हैं वे हिंदु सवर्ण पुरुष है जिनमें Doctors, Engineers, CAs और government या private secors के employees है।
महिला आयोग की तरह पुरुष आयोग की मांग भी उठी है जरा googling करो तो पता चलेगा कि हकीकत में दहेज से मरनेवाली औरतों के मुकाबले दहेज के झुठे आरोपों से मरनेवाले पुरुष का आंकड़ा 6 गुना ज्यादा है।
और किसान की बात करें तो जो किसान धंधा करते हैं और धंधेकी कमाइ को खेती से मिली दिखाते हैं और tax चोरी करते हैं उनका क्या? खेती पर लोन लेके धंधा करेंगे फिर competition करेंगे न खुद कमायेगे न किसीको कमाने देंगे फिर नुकसान करके लोन नहीं भरेंगे।
हमारे सूरत में कहा जाता है कि किसान जिस धंधे में पड़ता है वो बैठ जाता है। सब भेड़-बकरियों की तरह उसी धंधे में पड़ेंगे फिर उस धंधे की हालत बिगाड़ देंगे।
अगर कोई कंपनी नुकसान करती है तो दुसरी कंपनी को बेच दिया जाता है और नये मालिक उसे सुधार कर नफा करनेवाली बना देते हैं। लेकिन खेती में ऐसा कयु नहीं? कोई भी खेती की जमीन ले सके ऐसा कानून बना दो तो बहोत सारे लोग हे जो innovative ideas के साथ सुधार करेंगे।
आरक्षण भी हटा दो तो भी talented लोगों को मौका मीलेगा।
इस देश में कानून की वजह से हिदु पुरुष और मुस्लिम महिलाये दुखी हैं। Tripple talak जैसी चीजें को हटाने के लिए common civil code ला दो।
सिर्फ तटस्थ बुद्धीजीवी ही comments करें।
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