Hybrid

चंद्रगुप्त और सेल्यूकस के बीच युद्ध चल रहा था। उसमें अपनी निश्चित हार को देखते हुए , सेल्यूकस ने सम्मानजनक समझौते के लिए अपनी पुत्री हेलेना के विवाह का प्रस्ताव चंद्रगुप्त के पास भेजा।

हेलेना अत्यंत सुंदर थी ।
प्रस्ताव पर राज दरबार में चर्चा हुई।
चाणक्य ने कहा - प्रस्ताव अच्छा है, दो सभ्यताएं, दो संस्कृतियां एक दूसरे के निकट आएंगी। स्थापत्य, कला, लोक कला, खानपान आदि का आदान-प्रदान होगा।
लेकिन हेलेना से जन्म लेने वाला बेटा कभी भी पाटलिपुत्र की गद्दी पर नहीं बैठेगा। क्योंकि वर्णसंकर संतान , कभी भी देश और समाज का भला नहीं कर सकती।

पता नहीं चाणक्य की सीधी - सादी बात को हिंदुस्थानी क्यों नहीं समझ पा रहे हैं ?

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